गेम थ्योरी व्यवहारिक गणित की एक शाखा है जिसका प्रयोग समाज विज्ञान, खासकर अर्थशास्त्र, साथ ही साथ जीव विज्ञान, इंजीनियरिंग, राजनीति विज्ञान, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, कम्प्यूटर साइंस, और दर्शन में किया जाता है. गेम थ्योरी कूटनीतिक परिस्थितियों ,
जिसमें किसी के द्वारा विकल्प चुनने की सफलता दूसरों के चयन पर निर्भर
करती है, व्यवहार को बूझने का प्रयास करता है. यूं तो शुरू में इसे उन
प्रतियोगिताओं का विश्लेषण करने के लिए विकसित किया गया था जिसमें एक
व्यक्ति को दूसरे की गलतियों के कारण फायदा होता है (जीरो सम गेम्स), इसका विस्तारीकरण पारस्परिक प्रभावों के एक बड़े वर्ग का वर्णन करने के लिए किया गया है जो (पारस्परिक प्रभाव)कई मानदंडोंके
अनुसार वर्गीकृत किए जाते हैं. आज, "गेम थ्योरी समाज विज्ञान के तार्किक
पक्ष के लिए एक छतरी या 'यूनीफाइड फील्ड' थ्योरी की तरह है जिसमें
'सामाजिक' की व्याख्या मानव के साथ-साथ दूसरे खिलाड़ियों (कम्प्युटर,
जानवर, पौधे) को सम्मिलित कर की जाती है.(Aumann 1987)
गेम
थ्योरी के पारंपरिक अनुप्रयोगों में इन गेमों में साम्यवास्थाएं खोजने का
प्रयास किया जाता है. साम्यावस्था में गेम का प्रत्येक खिलाड़ी एक नीति
अपनाता है जो वह संभवतः नहीं बदलता है. इस विचार को समझने के लिएसाम्यावस्था की कई सारी अवधारणाएं विकसित की गई हैं (सबसे प्रसिद्ध नैश इक्विलिब्रियम).
साम्यावस्था के इन अवधारणाओं की अभिप्रेरणा अलग-अलग होती है और इस बात पर
निर्भर करती है कि वे किस क्षेत्र में प्रयोग की जा रहीं हैं, हालांकि उनके
मायने कुछ हद तक एक दूसरे में मिले-जुले होते हैं और मेल खाते हैं. यह
पद्धति आलोचना रहित नहीं है और साम्यावस्था की विशेष अवधारणाओं की
उपयुक्तता पर, साम्यवास्थाओं की उपयुक्तता पर, और आमतौर पर गणितीय मॉडलों
की उपयोगिता पर वाद-विवाद जारी रहते हैं.
हालांकि इसके पहले हो इस क्षेत्र में कुछ विकास चुके थे, गेम थ्योरी का क्षेत्र जॉन वॉन न्युमन्न और ऑस्कर मॉर्गनस्टर्न की 1944 की पुस्तक थ्योरी ऑफ गेम्स ऐंड इकोनोमिक बिहेविअर के
साथ आस्तित्व में आया. इस सिद्धांत का विकास बड़े पैमाने पर 1950 के दशक
में कई विद्वानों द्वारा किया गया. बाद में गेम थ्योरी स्पष्टतया 1970 के
दशक में जीव विज्ञान में प्रयुक्त किया गया, हांलाकि ऐसा 1930 के दशक में
ही शुरू हो चुका था. गेम थ्योरी की पहचान व्यापक रूप से कई क्षेत्रों में
एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में की गई है. आठ गेम थ्योरिस्ट्स अर्थशास्त्र
में नोबेल पुरस्कार जीत चुके हैं, और जॉन मेनार्ड स्मिथ को गेम थ्योरी के जीव विज्ञान में प्रयोग के लिए क्रफूर्ड पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
राजनीति विज्ञान
राजनीति विज्ञान में गेम थ्योरी का प्रयोग निष्पक्ष विभाजन,
[[राजनीतिक अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक चयन/विकल्प, युद्ध सौदेबाजी,
सकारात्मक राजनीतिक सिद्धांत, और सामाजिक पसंद सिद्धांत|राजनीतिक
अर्थव्यवस्था[[, सार्वजनिक चयन/विकल्प, युद्ध सौदेबाजी, सकारात्मक राजनीतिक सिद्धांत, और सामाजिक पसंद सिद्धांत]]]]
के अतिव्यापी क्षेत्रों पर केन्द्रित है. इन क्षेत्रों में से प्रत्येक
में, शोधकर्ताओं ने गेम थ्योरी आधारित मॉडलों को विकसित किया है जिनमें
खिलाड़ी अक्सर मतदाता, राज्य, स्पेशल इनटेरेस्ट ग्रुप, और राजनीतिज्ञ होते
हैं.
राजनीति विज्ञान में प्रयुक्त गेम थ्योरी के आरंभिक उदाहरणों के लिए एंथनी डाउंस का कार्य देखें. अपनी पुस्तक ऐन इकोनोमिक थ्योरी ऑफ़ डेमोक्रसीसाँचा:Harvard citations/core में उन्होंने 'होटलिंग फर्म लोकेशन (स्थिति)मॉडल'को
राजनीतिक प्रणाली में प्रयुक्त किया है. डाउनसियन मॉडल में, राजनीतिक
उम्मीदवार सिद्धांतों के प्रति एक आयामी नीति 'स्पेस' में प्रतिबद्ध होते
हैं. सिद्घांतकार दर्शाते हैं कि किस तरह से राजनीतिक उम्मीदवार औसत
मतदाताओं की पसंदीदा विचारधारा की ओर अभिसरित होंगे. बिलकुल ताज़ा उदाहरणों
के लिए स्टीवन ब्राम्स, जॉर्ज ट्सेबेलिस, जीन एम. ग्रॉसमैन और एल्हानन हेल्पमैन की या डेविड ऑस्टेन-स्मिथ और जेफ्री एस. बैंक्स की पुस्तकें देखें.
लोकतांत्रिक शांति की
एक खेल-सैद्धांतिक व्याख्या यह है कि जनता और लोकतंत्र की मुक्त बहस अपने
इरादों से संबंधित स्पष्ट और विश्वसनीय जानकारी दूसरे राज्यों को भेजते
हैं. इसके विपरीत, गैर-लोकतांत्रिक नेताओं के इरादों का पता लगाना कठिन है
कि कौन-कौन सी रियायतें लागू होंगी और क्या वादों को पूरा किया जाएगा. इस
तरह रियायतें प्रदान करने के प्रति अविश्वास और अनिच्छा होगी यदि विवादाधीन
दलों में से कम से कम एक दल गैर-लोकतंत्र साँचा Harvard citations/core है.
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