Thursday, 13 June 2013

पूर्व की ओर देखो नीति (Look East Policy)


India's Look East Policy Hindi
पूर्व की ओर देखो नीति (Look East Policy)
पूर्व की ओर देखो नीति (Look East Policy) – भारत सरकार द्वारा 90 के दशक के प्रारंभ में अपनाई गई वह नीति जिसके तहत भारत की विदेश नीति में भारत के पूर्वी तथा दक्षिण-पूर्वी पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्धों को अधिक मजबूत करने पर जोर दिया गया है। इस नीति के तहत इस तथ्य को ध्यान में रखा गया है कि भारत के सम्बन्ध इन पूर्वी तथा दक्षिण-पूर्वी देशों से ऐतिहासिक काल से रहे हैं तथा भारत तथा इस क्षेत्र के देशों में सांस्कृतिक, व्यापारिक तथा वाणिज्यिक सम्बन्ध हमेशा से मजबूत रहे हैं। पूर्व की ओर देखो नीति का मुख्य आधार आर्थिक सम्बन्ध है तथा 1991 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने इस नीति की रूपरेखा तैयार कर यह कोशिश की थी कि भारत को अपने आर्थिक विकास के लिए कैसे अधिक विकसित देशों का सहारा मिल सकता है। यहाँ प्रारंभ में देश की मंशा यह थी कि आर्थिक विकास को ध्यान में रखकर पहले अपने पड़ोसी पूर्वी तथा दक्षिण-पूर्व के उन एशियाई देशों से मजबूत आर्थिक सम्बन्ध सुनिश्चित किए जाएं, जो आर्थिक रूप से अधिक समृद्ध हैं – जैसे सिंगापुर। फिर पश्चिम के समृद्ध देशों जैसे अमेरिका को इस कड़ी में जोड़ा जाय। लेकिन इस नीति का निर्माण करते समय भारत को यह समझ में आ गया कि एशिया के पूर्वी तथा दक्षिण-पूर्वी देशों के साथ मजबूत आर्थिक सम्बन्ध भारत को लम्बे समय तक लाभ दिलाते रहेंगे। यह भी समझा गया कि भारत के इस क्षेत्र के देशों से पुराने सम्बन्धों के चलते इन सम्बन्धों को दीर्घ-कालीन समय के लिए सुनिश्चित करना अधिक आसान होगा। कहा जा सकता है कि पूर्व की ओर देखो नीति मुख्यत: आर्थिक दृष्टिकोणों को ध्यान में रखकर बनाई गई एक नीति थी लेकिन समय के साथ इसमें तमाम कूटनीतिक तथा सामरिक विचारधाराओं का भी सम्मिश्रण होता गया और आज पूर्व की ओर देखो नीति भारत की विदेश नीति का एक बहुमुखी व सफल हथियार है।

1991 में क्यों इस नई नीति को बनाने की आवश्यकता पड़ी?
भारत 90 के दशक के प्रारंभ में भीषण आर्थिक संकट से गुजर रहा था। इसलिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के आर्थिक विचारों के तहत देश ने अपने आर्थिक ढांचे में तमाम बदलाव किए जैसे अर्थव्यवस्था का उदारीकरण, लाइसेंस प्रणाली को आसान तथा पारदर्शी बनाना तथा देश के तमाम क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोलना। स्पष्ट था कि देश को भारी मात्रा में धन चाहिए था जिससे देश कि अर्थव्यवस्था में नया निवेश तथा अधिकाधिक रोजगार का सृजन किया जा सके। इस नीति को पी. वी. नरसिम्हा राव के बाद के प्रधानमंत्रियों जैसे आई.के. गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी तथा मनमोहन सिंह की सरकारों में चालू रखा गया और इस प्रकार से यह नीति हाल-फिलहाल की भारतीय विदेशी नीति का एक अंग बन गई।
 पूर्व की ओर देखो नीति के कुछ प्रमुख बिन्दु

  • इस नीति में आर्थिक सम्बन्धों पर अधिक जोर दिया गया है
  • नीति को उस समय क्रियान्वित किया गया था जब भारत की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी
  • इस नीति को बनाने में सिंगापुर के तत्कालीन प्रधानमंत्री ली कुआन यू की महत्वपूर्ण भूमिका थी
  • इस नीति के द्वारा भारत चीन के पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ते प्रभाव को भी नियंत्रित करना चाहता था
  • इस नीति के द्वारा क्षेत्र के उन देशों से आर्थिक सम्बन्ध अच्छे करने पर जोर दिया गया है, जो मजबूत क्षेत्रीय आर्थिक शक्तियाँ बनकर उभरे थे जैसे सिंगापुर, ताइवान, मलेशिया, आदि।
  • नीति को और विस्तार देते हुए भारत आसियान देशों से भी मजबूत आर्थिक सम्बन्ध स्थापित करने पर जोर दे रहा है।
  • नीति अब सिर्फ एक आर्थिक नीति नहीं रह गई है बल्कि लगातार बदलते वैश्विक पर्यावरण में यह एक सशक्त कूटनीतिक तथा सामरिक नीति बनकर उभरी है।

No comments:

Post a Comment