Thursday, 13 June 2013

कोर बैंकिंग (Core Banking) तथा CBS


Core Banking Hindi
कोर बैंकिंग (Core Banking) तथा CBS
बैंकिंग क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण शब्दावली कोर बैंकिंग (Core Banking) का प्रयोग दो परिप्रेक्ष्यों में किया जाता है।
पहला परिप्रेक्ष्य – वर्तमान में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के परिप्रेक्ष्य में कोर बैंकिंग में प्रयुक्त शब्द कोर (CORE) का अर्थ है Centralized Online Real-time Environment – सेण्ट्रलाइज़्ड ऑन-लाइन रियल-टाइम इनवायरमेण्ट। यह केन्द्रीयकृत बैंकिंग की ऐसी प्रणाली है जिसके द्वारा इस प्रणाली से जुड़े सारे बैंक केन्द्रीयकृत डाटासेण्टर्स का उपयोग बैंकिंग लेन-देन से जुड़े सारे सौदों के लिए करते हैं। कोर बैंकिंग में रियल-टाइम आधार पर कार्य किया जाता है तथा किसी भी बैंक में हुआ कोई भी लेन-देन केन्द्रीय सर्वर्स के द्वारा पूरी बैंकिंग प्रणाली में प्रतिबिंबित होता है। कहा जा सकता है कि कोर बैंकिंग में उच्च स्तर की सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर पूरी बैंकिंग प्रणाली को एक सूत्र में पिरो कर बैंकिंग लेन-देनों में अधिक लचीलापन तथा पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है।
दूसरा परिप्रेक्ष्य – कोर बैंकिंग शब्दावली का एक दूसरा अर्थ भी है – कई बार कोर बैंकिंग का अर्थ बैंकिंग प्रणाली के फुटकर तथा छोटे व्यवसायियों के साथ होने वाला व्यवसाय माना जाता है। एक तरह से बैंक इस वर्ग को ही अपना सर्वप्रमुख (कोर) वर्ग मानता है तथा इस वर्ग के साथ की जाने वाली बैंकिंग को ही कोर बैंकिंग कह दिया जाता है। बड़े व्यवसायों को बैंकिंग की एक दूसरी धारा द्वारा बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं, जिसे प्राय: कारपोरेट बैंकिंग (Corporate Banking) कहा जाता है।
कोर बैंकिंग सल्यूशंस (Core Banking Solutions or CBS)
हम अक्सर बैंक शाखाओं के बाहर लिखा देख सकते हैं – CBS सुविधायुक्त शाखा या CBS ब्रांच। CBS दरअसल बैंकों के लिए तैयार किए गया एक अत्याधुनिक प्लेटफार्म है जो बैंकों को अपनी उत्पादकता तथा कार्यकुशलता बढ़ाने, लेन-देन को आसान करने तथा लेन-देन को रिकार्ड करते समय प्राय: हाथों से की जाने वाली एण्ट्रीज़ से उत्पन्न होने वाली गलतियों को कम से कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। CBS ने बैंकिंग सेवाओं को एक बिल्कुल नया कलेवर प्रदान कर दिया है। असल में इंटरनेट तथा सूचना प्रौद्योगिकी के बैंकिंग में प्रयोग किए जाने के बाद बैंकिंग करने का तरीका बिल्कुल बदल गया है। सीबीएस ने बैंकिंग करने के तमाम माध्यमों जैसे बैंक शाखा, एटीएम, इंटरनेट, मोबाइल तथा प्वाइंट ऑफ सेल (PoS) काउंटर्स को आपस में बड़ी कुशलता से संयोजित कर दिया गया है। इसी के साथ पूरे बैंकिंग उद्योग को एक तंत्र से जोड़ कर सूचनाएं आपस में बाँटने का एक बहुत किफायती तथा पारदर्शी माध्यम CBS ने ही मुहैया कराया है। सीबीएस सुविधा के ही चलते हम किसी दूसरी बैंक शाखा से अपनी बैंकिंग सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं, किसी दूसरे बैंक के एटीएम से अपना पैसा निकाल सकते हैं तथा एक खाते से दूसरे खाते में पैसा हस्तांतरित कर सकते हैं। कोर बैंकिंग सल्यूशंस या CBS में शामिल सेवाएं हैं – एक उच्च परिष्कृत कम्प्यूटर साफ्टवेयर से बैंक के कोर कार्य जैसे लेन-देन रिकार्ड करना, पासबुक अपडेट करना, ब्याज की गणना कर उसे खातों में चढ़ाना, खातेदारों का रिकार्ड व्यवस्थित रखना, आदि। इन सेवाओं को कोर बैंकिंग सल्यूशंस इसीलिए कहा जाता है क्योंकि ये बैंक की कोर (सर्व-महत्वपूर्ण) कार्यों का निष्पादन करते हैं। CBS से सम्बन्धित ये साफ्टवेयर बैंक की तमाम शाखाओं में लगाए जाते हैं तथा इन्हें दूरसंचार के तमाम माध्यमों जैसे टेलीफोन, इंटरनेट तथा सैटेलाइट से आपस में जोड़ दिया जाता है। कई बार सीबीएस को बैंकों के बैक-एण्ड सिस्टम भी कहा जाता है।
कोर बैंकिंग के मुख्य बिन्दु :
  • 1) कोर बैंकिंग बैंकिंग क्षेत्र के लिए प्रयुक्त शब्दावली है
  • 2) कोर बैंकिंग में मुख्य जोर बैंकों के कोर (सर्वमहत्वपूर्ण) कार्यों के निष्पादन पर है
  • 3) कोर बैंकिंग ने बैंकों के उन कामों को आसान कर दिया है जो बैंकिंग उद्योग के मूल माने जाते हैं
  • 4) कोर बैंकिंग का आधार ही सूचना प्रौद्योगिकी तथा इंटरनेट टेक्नोलाजी का प्रयोग है
  • 5) कोर बैंकिंग ने बैंकों की विभिन्न सेवाओं व बैंकिंग के विभिन्न माध्यमों को आपस में जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
  • 6) कोर बैंकिंग ने बैंक प्रबन्धन को सूचनाएं सही समय पर मुहैया कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे बैंकिंग सम्बन्धी निर्णय लेने के लिए मुख्य आधार मैनेजमैण्ट इनफार्मेशन सिस्टम (MIS) को मजबूती प्रदान की गई है।

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